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मेरी सेक्सी दीदी

मेरी बी.ऐ की परीक्षा ख़तम हो गई थी। मै अपनी चचेरी दीदी के यहाँ घूमने नैनीताल गया। उनसे मिले हुए मुझे कई साल हो गए थे। जब में सातवीं में पढता था तभी उनकी शादी फौज के रणवीर सिंह के साथ हो गई। अब वो लोग नैनीताल में रहते थे। मेंने सोचा चलो दीदी से मिलने के साथ साथ नैनीताल भी घूम लूँगा। वहां पहुँचने पर दीदी बहूत खुश हुई।

बोली – अरे तुम इतने बड़े हो गए। मैंने तुम्हे जब अपनी शादी में देखा था तो तुम सिर्फ़ ११ साल के थे।

मैंने कहा – जी दीदी अब तो मै बीस साल का हो गया हूँ।

दीदी ने मुझे खूब खिलाया पिलाया। जीजा जी अभी पिछले तीन महीने से कश्मीर में अपनी ड्यूटी पर थे। दीदी की शादी हुए आठ साल हो गए थे। दीदी की एक मात्र संतान तीन साल की जूही थी जो बहूत ही नटखट थी। वो भी मुझसे बहूत ही घुल -मिल गई। शाम को जीजा जी का फ़ोन आया तो मैंने उनसे बात की। वो भी बहूत खुश थे मेरे आने पर।
बोले – एक महीने से कम रहे तो कोर्ट मार्शल कर दूँगा।

रात को यूँ ही बातें करते करते और पुरानी यादों को ताज़ा करते करते मै अपने कमरे में सोने चला गया। दीदी ने मेरे लिए बिस्तर लगा दिया
और बोली – अब आराम से सो जाओ।

मै आराम से सो गया। किंतु रात के एक बजे नैनीताल की ठंडी हवा से मेरी नींद खुल गई। मुझे ठण्ड लग रही थी। हालाँकि अभी मई का महिना था लेकिन मै मुंबई का रहने वाला आदमी भला नैनीताल की मई महीने की भी हवा को कैसे बर्दाश्त कर सकता। मेरे पास चादर भी नही था। मैंने दीदी को आवाज लगाई । लेकिन वो शायद गहरी नींद में सो रही थी। थोडी देर तो मै चुप रहा लेकिन जब बहूत ठण्ड लगने लगी तो मै उठ कर दीदी के कमरे के पास जा कर उन्हें आवाज लगाई। दीदी मेरी आवाज़ सुन कर हडबडी से उठ कर मेरे पास चली आई और

कहा – क्या हुआ गुड्डू?

वो सिर्फ़ एक गंजी और छोटी सी पेंट जो की औरतों की पेंटी से थोडी ही बड़ी थी। गंजी भी सिर्फ़ छाती को ढंकने की अधूरी सी कोशिश कर रही थी। में उनकी ड्रेस को देख के दंग रह गया। दीदी की उमर अभी उनतीस या तीस की ही होती रही होगी। सारा बदन सोने की तरह चमक रहा था। में उनके बदन को एकटक देख ही रहा था की दीदी ने फिर

कहा- क्या हुआ गुड्डू?

मेरी तंद्रा भंग हुई।

मैंने कहा -दीदी मुझे ठण्ड लग रही है। मुझे चादर चाहिए।

दीदी ने कहा – अरे मुझे तो गर्मी लग रही है और तुझे ठंडी?

मैंने कहा -मुझे यहाँ के हवाओं की आदत नही है ना।

दीदी ने कहा -अच्छा तू रूम में जा , में तेरे लिए चादर ले कर आती हूँ।

मै कमरे में आ कर लेट गया। मेरी आंखों के सामने दीदी का बदन अभी भी घूम रहा था। दीदी का अंग अंग तराशा हुआ था। थोडी ही देर में दीदी एक कम्बल ले कर आयी और मेरे बिस्तर पर रख दी।

बोली – पता नही कैसे तुम्हे ठण्ड लग रही है। मुझे तो गर्मी लग रही है। खैर , कुछ और चाहिए तुम्हे?

मैंने कहा- नही, लेकिन कोई शरीर दर्द की गोली है क्या?

दीदी बोली- क्यों क्या हुआ?

मैंने कहा – लम्बी सफर से आया हूँ। बदन टूट सा रहा है।

दीदी ने कहा- गोली तो नही है। रुक में तेरे लिए कॉफ़ी बना के लाती हूँ। इससे तेरा बदन दर्द दूर हो जायेगा.

मैंने कहा- छोड़ दो दीदी , इतनी रात को क्यों कष्ट करोगी?

दीदी ने कहा -इसमे कष्ट कैसा? तुम मेरे यहाँ आए हो तो तुम्हे कोई कष्ट थोड़े ही होने दूँगी।

कह कर वो चली गई। थोडी ही देर में वो दो कप कॉफ़ी बना लायी। रात के डेढ़ बाज़ रहे थे। हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे।

कॉफ़ी पीते पीते वो बोली – ला, में तेरा बदन दबा देती हूँ। इस से तुम्हे आराम मिलेगा।

मैंने कहा – नही दीदी, इसकी कोई जरूरत नही है। सुबह तक ठीक हो जाएगा।

लेकिन दीदी मेरे बिस्तर पर चढ़ गई
और बोली – तू आराम से लेटा रह मै अभी तेरी बदन की मालिश कर देती हूँ .

कहते कहते वो मेरे जाँघों को अपनी जाँघों पे रख कर उसे अपने हाथों से दबाने लगी। मैंने पैजामा पहन रखा था। वो अपनी नंगी जाँघों पर मेरे पैर को रख कर उसे दबाने लगी।

दबाते हुए बोली – एक काम कर, पैजामा खोल दे, सारे पैर में अच्छी तरह से तेल मालिश कर दूँगी। ।

अब मैं किसी बात का इनकार करने का विचार त्याग दिया। मैंने झट अपना पैजामा खोल दिया। अब मैं अंडरवियर और बनियान में था। दीदी ने फिर से मेरे पैर को अपनी नंगी जांघों पे रख कर तेल लगा कर मालिश करने लगी। जब मेरे पैर उनकी नंगी और चिकनी जाँघों पे रखी थी तो मुझे बहूत आनंद आने लगा। दीदी की चूची उनकी ढीली ढीली गंजी से बाहर दिख रही थी. उसकी चूची की निपल उनकी पतली गंजी में से साफ़ दिख रही थी. मै उनकी चूची को देख देख के मस्त हुआ जा रहा था. उनकी जांघ इतनी चिकनी थी की मेरे पैर उस पर फिसल रहे थे. उनका हाथ धीरी धीरे मेरे अंडरवियर तक आने लगा। उनके हाथ के वहां तक पहुंचने पर मेरे लंड में तनाव आने लगा। मेरा लंड अब पूरी तरह से फनफनाने लगा। मेरा लंड अंडरवियर के अन्दर करीब छः इंच ऊँचा हो गया। दीदी ने मेरी पैरों को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लायी और मेरे दोनों पैर को अपने कमर के अगल बगल करते हुए मेरे लंड को अपने चूत में सटा दी. मुझे दीदी की मंशा गड़बड़ लगने लगी. लेकिन अब मै भी चाहता था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ हो जाने दो.

दीदी ने कहा – गुड्डू , तू अपनी बनियान उतर दो न। छाती की भी मालिश कर दूँगी।

मैंने बिना समय गवाए बनियान भी उतर दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था। वो जब भी मेरी छाती की मालिश के लिए मेरे सीने पर झुकती उनका पेट मेरे खड़े लंड से सट रहा था. शायद वो जान बुझ कर मेरे लंड को अपने पेट से दबाने लगी. एक जवान औरत मेरी तेल मालिश कर रही है। यह सोच कर मेरा लिंग महाराज एक इंच और बढ़ गया। इस से थोडा थोडा रस निकलने लगा जिस से की मेरा अंडरवियर गीला हो गया था.

अचानक दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ कर कहा – ये तो काफी बड़ा हो गया है तेरा।

दीदी ने जब मुझसे ये कहा तो मुझे शर्म सी आ गयी कि शायद दीदी को मेरा लंड बड़ा होना अच्छा नही लग रहा था. मुझे लगा शायद वो मेरे सुख के लिए मेरा बदन मालिश कर रही है और मै उनके बदन को देख कर मस्त हुआ जा रहा हूँ और गंदे गंदे ख़याल सोच कर अपना लंड को खड़े किये हुआ हूँ.

इसलिए मैंने धीमे से कहा- ये मैंने जान बुझ कर नहीं किया है. खुद ब खुद हो गया है.

लेकिन दीदी मेरे लंड को दबाते हुए मुस्कुराते हुए कही- बच्चा बड़ा हो गया है. जरा देखूं तो कितना बड़ा है मेरे भाई का लंड.

ये कहते हुए उसने मेरा अंडरवियर को नीचे सरका दिया. मेरा सात इंच का लहलहाता हुआ लंड मेरी दीदी की हाथ में आ गया. अब में पूरी तरह से नंगा अपनी दीदी के सामने था। दीदी ने बड़े प्यार से मेरे लिंग को अपने हाथ में लिया। और उसमे तेल लगा कर मालिश करने लगी।

दीदी ने कहा – तेरा लिंग लंबा तो है मगर तेरी तरह दुबला पतला है। मालिश नही करता है इसकी?

मैंने पुछा – जीजा जी का लिंग कैसा है?

दीदी ने कहा- मत पूछो। उनका तो तेरे से भी लंबा और मोटा है।

वो बोली- कभी किसी लड़की को नंगा देखा है?

मैंने कहा – नहीं.

उसने कहा – मुझे नंगा देखेगा?

मैंने कहा – अगर तुम चाहो तो .

दीदी ने अपनी गंजी एक झटके में उतार दी.
गंजी के नीचे कोई ब्रा नही थी। उनके बड़ी बड़ी चूची मेरे सामने किसी पर्वत की तरह खड़े हो गए।उनकी दो प्यारी प्यारी चूची मेरे सामने थी.

दीदी पूछी- मुठ मारते हो?

मैंने कहा – हाँ।

दीदी- कितनी बार?

मैंने – एक दो दिन में एक बार।

दीदी- कभी दूसरे ने तेरी मुठ मारी है?

मैंने -हाँ ।

दीदी- किसने मारी तेरी मुठ?

मैंने- एक बार में और मेरा एक दोस्त ने एक दुसरे की मुठ मारी थी।

दीदी – कभी अपने लिंग को किसी से चुसवा कर माल निकाला है तुने?

मैंने- नही।

दीदी – रुक , आज में तुम्हे बताती हूँ की जब कोई लिंग को चूसता है तो चुस्वाने वाले को कितना मज़ा आता है।

इतना कह के वो मेरे लिंग को अपने मुंह में ले ली। और पूरे लिंग को अपने मुंह में भर ली। मुझे ऐसा लग रहा था की वो मेरे लिंग को कच्चा ही खा जायेगी। अपने दाँतों से मेरे लिंग को चबाने लगी। करीब तीन चार मिनट तक मेरे लिंग को चबाने के बाद वो मेरे लिंग को अपने मुंह से अन्दर बाहर करने लगी। एक ही मिनट हुआ होगा की मेरा माल बाहर निकलने को बेताब होने लगा।

मैंने- दीदी , छोड़ दो, अब माल निकलने वाला है।

दीदी – निकलने दो ना .

उन्होंने मेरे लिंग को अपने मुंह से बाहर नही निकाला। लेकिन मेरे माल बाहर आने लगा। दीदी ने सारा माल पी जाने के पूरी कोशिश की लेकिन मेरे लिंग का माल उनके मुंह से बाहर निकल कर उनके गालों पर भी बहने लगा। गाल पे बह रहे मेरे माल को अपने हाथों से पोछ कर हाथ को चाटते हुए
बोली – अरे, तेरा माल तो एकदम से मीठा है। कैसा लगा आज का मुठ मरवाना?

मैंने – अच्छा लगा।

दीदी – कभी किसी बुर को चोदा है तुने?

मैंने – नही, कभी मौका ही नही लगा।

फिर बोली- मुझे चोदेगा?

मैंने – हाँ।

दीदी – ठीक है .

कह कर दीदी खड़ी हो गई और अपनी छोटे से पैंट को एक झटके में खोल दिया। उसके नीचे भी कोई पेंटी नही थी। उसके नीचे जो था वो मैंने आज तक हकीकत में नही देखा था। एक दम बड़ा, चिकना , बिना किसी बाल का, खुबसूरत सा बुर मेरी आँखों के सामने था।

अपनी बुर को मेरी मुंह के सामने ला कर बोली – ये रहा मेरा बुर, कभी देखा है ऐसा बुर ? अब देखना ये है की तुम कैसे मुझे चोदते हो। सारा बुर तुम्हारा है। अब तुम इसका चाहे जो करो।

मैंने कहा- दीदी, तुम्हारा बुर एकदम चिकना है। तुम रोज़ शेव करती हो क्या?

दीदी- तुम्हे कैसे पता की बुर चिकना होता है की बाल वाला??

मैंने कहा- वो मैंने अपनी नौकरानी का बुर तीन चार बार देखा है। उसके बुर में एकदम से घने बाल हैं। उसकी बुर तो काली भी है। तुम्हारी तरह सफ़ेद बुर नही है उसकी।

दीदी- अच्छा, तो तुमने अपनी नौकरानी की बुर कैसे देख ली है?

मैंने कहा – वो जब भी मेरे कमरे में आती है ना तो अगर मुझे नही देखती है तो मेरे शीशे के सामने एकदम से नंगी हो कर अपने आप को निहारा करती है। उसकी यह आदत मैंने एक दिन जान लिया । तब से में तीन चार बार जान बुझ कर छिप जाता हूँ और वो सोचती थी की में यहाँ कमरे नही हूँ, वो वो नंगी हो मेरे शीशे के सामने अपने आप को देखती थी।

दीदी- बड़े शरारती हो तुम।

मैंने कहा- वो तो मैंने दूर से काली सी गन्दी सी बुर को देखा था जो की घने बाल के कारण ठीक से दिखाई भी नही देते थे। लेकिन आपकी बुर तो एक दम से संगमरमर की तरह चमक रही है।

दीदी- वो तो में हर संडे को इसे साफ़ करती हूँ। कल ही न संडे था। कल ही मैंने इसे साफ़ किया है।

अब मुझसे रहा नही जा रहा था। समझ में नही आ रहा था की कहाँ से स्टार्ट किया जाए ? मुझे कुछ नही सूझा तो मैंने दीदी को पहले अपनी बाहों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया ।अब वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थीं । पहले मैंने उनके खुबसूरत जिस्म का अवलोकन किया ।दूध सा सफ़ेद बदन। चुचियों की काया देखते ही बनती थी । लगता था संगमरमर के पत्थर पे किसी ने गुलाब की छोटी कली रख दिया हो। उनकी निपल एकदम लाल थी। सपाट पेट। पेट के नीचे मलाईदार सैंडविच की तरह फूली हुई बुर . बुर का रंग एकदम सोने के तरह था। उनके बुर को हाथ से फाड़ कर देखा तो अन्दर लाल लाल तरबूज की तरह नज़ारा दिखा। कही से भी शुरू करूं तो बिना सब जगह हाथ मारे उपाय नही दिखा। सोचा ऊपर से ही शुरू किया। जाए । मैंने सबसे पहले उनके रसीले लाल ओठों को अपने ओठों में भर लिया । जी भर के चूमा । इस दौरान मेरे हाथ दीदी के चुचियों से खेलने लगे । दीदी ने भी मेरा किस का पूरा जवाब दिया . फिर में उनके ओठों को छोड़ उनके गले होते हुए उनकी चूची पर आ रुका . काफ़ी बड़ी और सख्त चूचियां थी . एक बार में एक चूची को मुंह में दबाया और दुसरे को हाथ से मसलता रहा . थोडी देर में दूसरी चूची का स्वाद लिया . चुचियों का जी भर के रसोस्वदन के बाद अब बारी थी उन के महान बुर के दर्शन का . ज्यों ही में उन के बुर पास अपना सर ले गया मुझसे रहा नही गया और मैंने अपनी जीभ को उनके बुर के मुंह पर रख दिया . स्वाद लेने की कोशिश की तो हल्का सा नमकीन सा लगा । मजेदार स्वाद था . अब में पूरी बुर को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा . दीदी मस्त हो कर सिसकारी निकालने लगी . मैं समझ रहा था कि दीदी को मज़ा आ रहा है . मैं और जोर जोर से दीदी का बुर को चुसना शुरू किया . करीब पन्द्रह मिनट तक में दीदी का बुर का स्वाद लेता रहा । अचानक दीदी ज़ोर से आँख बंद कर के कराही और उन के बुर से माल निकल कर उनके बुर के दरार होते हुए गांड की दरार की और चल दिए . मैंने जहाँ तक हो सका उनके बुर का रस का पान किया . मैंने देखा अब दीदी पहले की अपेक्षा शांत हैं . लेकिन मेरा लिंग महाराज एकदम से तनतना गया . मैंने दीदी के दोनों पैरों को अलग अलग दिशा में किया और उनके बुर की छिद्र पर अपना लिंग रखा और धीरे धीरे दीदी के बदन पर लेट गया . इस से मेरा लिंग दीदी के बुर में प्रवेश कर गया . ज्यों ही मेरा लिंग दीदी के बुर में प्रवेश किया दीदी लगभग छटपटा उठी .

मैंने कहा – क्या हुआ दीदी, जीजा जी का लिंग तो मुझसे भी मोटा है ना तो फ़िर तुम छटपटा क्यों रही हो ?

दीदी – तीन महीने से कोई लिंग बुर में नही ली हूँ न इसलिए ये बुर थोड़ा सिकुड़ गया है .उफ़, लगता नही है की तुम्हे चुदाई के बारे में पता नही है। कितनो की ली है तुने?

मैं बोला- कभी नही दीदी, वो तो में फिल्मों में देख के और किताबों में पढ़ कर सब जानता हूँ।

दीदी बोली- शाबाश गुड्डू, आज प्रेक्टिकल भी कर लो। कोई बात नही है। तुम अच्छा कर रहे हो। चालू रहो। मज़ा आ रहा है।

मैंने दीदी को अपने दोनों हाथों से लपेट लिया। दीदी ने भी अपनी टांगों को मेरे ऊपर से लपेट कर अपने हाथों से मेरी पीठ को लपेट लिया। अब हम दोनों एक दुसरे से बिलकूल गुथे हुए था। मैंने अपनी कमर धीरे से ऊपर उठाया इस से मेरा लिंग दीदी के बुर से थोड़ा बाहर आया। मैंने फिर अपना कमर को नीचे किया। इस से मेरा लिंग दीदी के बुर में पूरी तरह से समां गया। इस बार दीदी लगभग चीख उठी।

अब मैंने दीदी की चीखूं और दर्द पर ध्यान देना बंद कर दिया। और उनको पुरी प्रेम से चोदना शुरू किया। पहले नौ – दस धक्के में तो दीदी हर धक्के पर कराही । लेकिन दस धक्के के आड़ उनकी बुर चौडी हो गई॥ तीस पैंतीस धक्के के बाद तो उनका बुर पूरी तरह से फैल गया। अब उनको आनंद आने लगा था। अब वो मेरे चुतद पर हाथ रख के मेरे धक्के को और भी जोर दे रही थी। चूँकि थोडी देर पहले ही ढेर सारा माल निकल गया था इस लिए जल्दी माल निकालने वाला तो था नहीं. मै उनकी चुदाई करते करते थक गया। करीब बीस मिनट तक उनकी बुर चुदाई के बाद भी मेरा माल नही निकल रहा था।

दीदी बोली – थोड़ा रुक जाओ।

मैंने दीदी के बुर में अपना सात इंच का लिंग डाले हुए ही थोडी देर के लिए रुक गया। मेरी साँसे तेज़ चल रही थी। दीदी भी थक गई थी। मैंने उनकी चूची को मुंह में भर कर चुसना शुरू किया। इस बार मुझे शरारत सूझी। मैंने उनकी चूची में दांत गडा दिए। वो चीखी.

बोली- क्या करते हो?

फिर मैंने उनके ओठों को अपने मुंह में भर लिया। दो मिनट के विश्राम के बाद मैंने अपने कमर को फिर से हरकत में लाया। इस बार मेरी स्पीड काफ़ी बढ़ गई। दीदी का पूरा बदन मेरे धक्के के साथ आगे पीछे होने लगा।

दीदी बोली- अब छोड़ दो गुड्डू। मेरा माल निकल गया।

मैंने उनकी चुदाई जारी रखते हुए कहा- रुको न.अब मेरा भी निकल जाएगा।

चालीस -पचास धक्के के बाद में लिंग के मुंह से गंगा जमुना की धारा बह निकली . सारी धारा दीदी के बुर के विशाल कुएं में समा गयी । एक बूंद भी बाहर नही आई। बीस मिनट तक हम दोनों को कुछ भी होश नही था। मै उसी तरह से उनके बदन पे पड़ा रहा।

बीस मिनट के बाद वो बोली -गुड्डू , तुम ठीक तो हो न?

मैंने बोला -हाँ।

दीदी – कैसा लगा बुर की चुदाई कर के?

मैंने – मज़ा आ गया।

दीदी- और करोगे?

मैंने – अब मेरा माल नही निकलेगा।

दीदी हँसी और बोली- धत पगले। माल भी कहीं ख़तम होता है। रुको में तुम्हारे लिए कॉफ़ी बना के लाती हूँ।

दीदी नंगे बदन ही किचन गई और कॉफ़ी बना कर लायी। कॉफ़ी पीने के बाद फिर से ताजगी छा गई। दीदी के जिस्म देख देख के मुझे फिर गर्मी चढ़ने लगी।

दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ कर कहा- क्या हाल है जनाब का?

मैंने कहा – क्यों दीदी , फिर से एक राउंड हो जाए?

दीदी – क्यों नही। इस बार आराम से करेंगे।

दीदी बिस्तर पर लेट गई। पहले तो मैंने उनके बुर को चाट चाट के पनिया दिया। मेरा लिंग महाराज बड़ी ही मुश्किल से दुबारा तैयार हुआ। लेकिन जैसे ही मैंने उनको दीदी के बुर देवी से भेंट करवाया वो तुंरत ही जाग गए। सुबह के चार बज गए थे। उसी समय अपने लिंग महाराज को दीदी के बुर देवी कह प्रवेश कराया। पूरे पैंतालिस मिनट तक दीदी को चोदता रह। दीदी की बुर ने पाँच छः बार पानी छोड़ दिया।

वो मुझसे बार बार कहती रही -गुड्डू छोड़ दो। अब नही। कल करना।

लेकिन मैंने कहा नही दीदी अब तो जब तक मेरा माल नही निकल जाता तब तक तुम्हारे बुर का कल्याण नही है।

पैंतालिस मिनट के बाद मेरे लिंग महाराज ने जो धारा निकाली तो मेरे तो जैसे प्राण ही निकल गए। जब दीदी को पता चला की मेरा माल निकल गया है तो जैसे तैसे अपने ऊपर से मुझे हटाई और अपने कपड़े लिए खड़ी हो गई। में तो बिलकूल निढाल हो बिस्तर पे पड़ा रहा . दीदी ने मेरे ऊपर कम्बल रखा और बिना कपड़े पहने ही हाथ में कपड़े लिए अपने कमरे की तरफ़ चली गई . आँख खुली तो दिन के बारह बज चुके थे . में अभी भी नंगा सिर्फ़ कम्बल ओढे हुए पड़ा था . किसी तरह उठ कर कपड़े पहना और बाहर आया . देखा दीदी किचेन में है .

मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली – एक रात में ही ये हाल है , जीजाजी का आर्डर सुना है ना पूरे एक महीने रहना है । हां हां हां हां !!!!

इस प्रकार दीदी की चुदाई से ही मेरा यौवन का प्रारम्भ हुआ . मैं वहां एक महीने से भी अधिक रुका जब तक जीजा जी नही आ गए। इस एक महीने में कोई भी रात मैंने बिना उनकी चुदाई के नही गुजारी। दीदी ने मुझसे इतनी अधिक प्रैक्टिस करवाई की अब एक रात में पाँच बार भी उनकी बुर की चुदाई कर सकता था। उन्होंने मुझे अपनी गांड के दर्शन भी कई बार करवाई। कई बार दिन में हम दोनों ने साथ स्नान भी किया।

आख़िर एक दिन जीजाजी भी आ गए। जब रात हुई और जीजाजी और दीदी अपने कमरे में गए तो थोडी ही देर में दीदी की चीख और कराहने की आवाज़ ज़ोर ज़ोर से मेरे कमरे में आने लगी। में तो डर गया। लगता है की दीदी की चुदाई का भेद खुल गया है और जीजा जी दीदी की पिटाई कर रहे हैं। रात दस बजे से सुबह चार बजे तक दीदी की कराहने की आवाज़ आती रही।

सुबह जैसे ही दीदी से मुलाकात हुई तो मैंने पुछा – कल रात को जीजाजी ने तुम्हे पीटा? कल रात भर तुम्हारे कराहने की आवाज़ आती रही।

दीदी बोली- धत पगले। वो तो रात भर मेरी चुदाई कर रहे थे। चार महीने की गर्मी थी इसलिए कुछ ज्यादा ही उछल कूद हो रही थी।

मैंने कहा- दीदी अब में जाऊँगा।

दीदी ने कहा – कब? मैंने कहा – आज रात ही निकल जाऊँगा।

दीदी बोली- ठीक है। चल रात की खुमारी तो निकाल दे मेरी।

मैंने कहा – जीजाजी घर पे हैं। वो जान जायेंगे तो।

दीदी बोली- वो रात को इतनी बेयर पी चुके हैं की दोपहर से पहले नही उठने वाले।

दीदी को मैंने अपने कमरे में ले जा कर इतनी चुदाई की की आने वाले दो – तीन महीने तक मुझे मुठ मारने की भी जरूरत नही हुई। जीजा जी ने जब दीदी को आवाज़ लगायी तभी दीदी को मुझसे मुक्ति मिली। आखिरी बार मैंने दीदी के बुर को किस किया और वो अपने कपड़े पहनते हुए अपने कमरे में जीजा जी से चुदवाने फिर चली गई। उसी रात को मैंने अपने घर की ट्रेन पकड़ ली.

भाभी की मस्त बुर

मै उस समय 15 साल का था। मेरे लंड पर बाल उग आए थे। मै अक्सर रात को अपने बिस्तर पर नंगा लेट कर अपने लंड के बाल को सहलाया करता था। एवं अपने लंड को खड़ा कर उसे सहलाता रहता था। एक रात मै अपने लंड को सहला रहा था । उसमे मुझे बहूत आनंद आ रहा था। अचानक मै जोर जोर से अपने लंड को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया । मुझे ऐसा करना बहूत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे लंड से मेरा माल निकलने लगा । उत्तेजना से मेरी आँखे बंद हो गई। 5-6 मिनट तक मुझे होश ही नही रहा। ये मेरा पहला मुठ था। इसके पहले मुझे इसका कोई अनुभव नही था। मै बाथरूम में जा कर अपने लंड को धोया और बेड पे आया तो मुझे गहरी नींद आ गई।

अगली सुबह मै अपने रूम से बाहर निकला तो देखा की भइया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी शादी हुए 2 साल हो गए थे। भाभी मेरे साथ बहूत ही घुली मिली थी। मै अपनी हर प्रोब्लम उनको बताया करता था। मेरे माता-पिता भी हमारे साथ ही रहते थे। थोडी देर में भईया अपने ऑफिस चले गए। पिता जी को कचहरी में काम था इस लिए वो 10 बजे चले गए। मेरे पड़ोस में एक पूजा था सो माँ भी वहां चली गई। मैंने देखा की घर में मेरे और भाभी के अलावा कोई नही है। मै भाभी के रूम में गया। भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। मै उनके बगल में जा कर लेट गया। मेरे लिए ये कोई नई बात नही थी। भाभी को इसमे कोई गुस्सा नही होता था। भाभी ने करवट बदल कर मेरे कमर के ऊपर अपना पैर रख कर अपना बदन का भार मुझे पे डाल दिया
और कहा- क्या बात है राजा जी ? आप कुछ परेशान लग रहें हैं।

भाभी अक्सर मेरे साथ ऐसा करती थी।

मैंने कहा- भाभी कल रात को कुछ गजब हो गया। आज तक मेरे साथ ऐसा नही हुआ था।

भाभी ने पुछा- क्या हुआ?

मैंने कहा – कल रात को मेरे लंड से कुछ सफ़ेद सफ़ेद निकल गया। मुझे लगता है कि मुझे डाक्टर के पास जाना होगा।

भाभी ने मुस्कुरा के पुछा- अपने आप निकल गया?

मैंने कहा – नही , मै अपने लंड को सहला रहा था तभी ऐसा हुआ।

भाभी ने कहा- राजा बाबू अब आप जवान हो गए हो। ये सब तो होगा ही।लगता है कि मुझे देखना होगा।

भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया। तथा धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इस से मेरे लंड खड़ा होने लगा।

भाभी बोली- जरा दिखाइए तो सही ।

मै कुछ नही बोला। मैंने धीरे से अपने पेंट का बटन खोल दिया। भाभी ने मेरे पेंट को नीचे की ओर खींचा और उसे पूरी तरह खोल दिया। अब मै सिर्फ़ अंडरवियर में था। भाभी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लंड को सहला रही थी।

बोली- क्या इसी से कल रात को सफ़ेद सफ़ेद निकला था?

मैंने कहा – हाँ।

भाभी ने कहा – अंडरवियर खोलिए।

मैंने कहा – क्या भाभी, आपके सामने मै अपना अंडरवियर कैसे खोल सकता हूँ?

भाभी बोली – अरे जब आप मेरे को अपना पूरा प्रोब्लम नही बतायेगे तो मै कैसी जानूंगी कि आपको क्या हुआ है? और मुझे क्या शर्माना? अपनों से कोई शर्माता है भला? जब आपके भइया को मेरे सामने अपने कपड़े खोलने में कोई शर्म नही है तो फिर आप क्यों शरमाते हैं?

मै इस से पहले की कुछ बोलता भाभी ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीचे खींच लिया। मेरा लंड तन के खड़ा हो गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया.
और कहा – अरे राजा बाबू आप तो बहूत जवान हो गए हैं।

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी। मेरे लंड से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा । अचानक भाभी मेरे को जकड कर नीचे की तरफ़ घूम गई। इस से मै भाभी के शरीर पर चढ़ गया। भाभी का शरीर बहूत ही मखमली था।

भाभी ने मुझसे कहा – मुझे चोदियेगा?

मै कहा – मै नही जानता।

भाभी ने मेरे शरीर को पकड़ लिया और कहा – मै सीखा देती हूँ। पहले मेरा ब्लाउज खोलिए।

मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया । भाभी का चूची एकदम सफ़ेद सफ़ेद दिख रहा था। मैंने कभी सोचा भी नही था कि भाभी का चूची इतना सफ़ेद होगा। मै भाभी के चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा।

भाभी ने कहा – ब्रा तो खोलिए तब ना मज़ा आएगा।

मैंने भाभी की ब्रा भी खोल दिया। अब भाभी का समूचा चूची मेरे सामने तना हुआ खड़ा था। मैंने दोनों हाथो से भाभी की चूची को पकड़ लिया और
कहा – क्या मस्त चुच्ची है आपकी भाभी?

मै भाभी के चुचियों को धीरे धीरे दबा रहा था ।

अचानक भाभी ने कहा – मेरी साड़ी खोलिए ना तब और भी मज़ा आएगा।

मैंने एक हाथ से भाभी की साड़ी खोल दिया। भाभी अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी।

फ़िर मैंने भाभी को कहा – क्या पेटीकोट भी खोल दूँ?

भाभी बोली – हाँ।

मै बैठ कर भाभी का पेटीकोट का नाडा खोला और झट से उतर फेंका। अब मेरे सामने जो नजारा था मै उसकी कल्पना सपने में भी नही कर सकता था। भाभी का बुर एकदम सफ़ेद सा था। उसपर घने घने बाल भी थे। मै भाभी के बुर को देख रहा था। कितना बड़ा बुर था। बुर के अन्दर लाल लाल छेद दिख रहा था।

मैंने भाभी को कहा – आपको भी बाल होता है?

भाभी सिर्फ़ मुस्कुराई।

भाभी बोली – छु कर तो देखिये।

मै भाभी के बुर को धीरे धीरे छुने लगा। भाभी बुर का बाल मै एक तरफ़ कर के मै उसे फैला के देखने की कोशिश करने लगा कि ये कितना बड़ा है। मुझे उसके अन्दर छेद नजर आ रहा था।

भाभी से मैंने पुछा – भाभी , ये छेद कितना गहरा है?

भाभी ने कहा – ऊँगली डाल के देखिये न?

मै बुर में ऊँगली डाल दिया। मै अपनी ऊँगली को भाभी के बुर में चारों तरफ़ घुमाने लगा। बहूत बड़ा था भाभी का बूर। मै बूर से ऊँगली निकाल के भाभी के शरीर पे लेट गया। भाभी ने अपने दोनों पैर को ऊपर उठा के मेरे ऊपर से घूमा के मुझे लपेट लिया। मै भाभी के शरीर को जोर से पकड़ लिया। मेरी साँसे बहूत तेज़ हो गई थी। मेरा सारा छाती भाभी के चूची से रगड़ खा रहा था। भाभी ने मेरे सर को पकड़ के अपने तरफ़ खींचा और अपने होठ को मेरे होठ से लगा दिया। मै भी समझ गया कि मुझे क्या करना है? मै काफी देर तक भाभी के होठो को चूमता रहा। चुमते चुमते मेरे शरीर में उत्तेजना भरती गई। मै भाभी के होठ को छोड़ कर कुछ नीच आया और भाभी के चूची को मुह में ले कर काफ़ी देर तक चूसता रहा। भाभी सिर्फ़ गर्म साँसे फेंक रही थी। फिर भाभी अचानक बैठ गई और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। मै लेट कर भाभी का तमाशा देख रहा था। भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। वो मेरी लंड के सुपाडे को ऊपर नीचे कर रही थी। मै पागल हुआ जा रहा था। भाभी ने अचानक मेरे लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी। पूरे मुंह में मेरा लंड घुसा ली। मै एकदम से उत्तेजित हो गया।

मैंने भाभी को कहा- भाभी, प्लीज ऐसा मत कीजिये।

लेकिन भाभी नही मानी। वो मेरे लंड को अपने मुंह में पूरा घूसा ली। अचानक मेरे लंड से माल निकलने लग गया। मेरी आँखे बंद हो गई। मै छटपटा गया। सारा माल भाभी के मुंह में गिर रहा था लेकिन भाभी ने मेरे लंड को अपने मुंह से नही निकाला। और मेरा सारा माल भाभी पी गई। 2-3 मिनट के बाद मुझे होश आया। देखा भाभी मेरे शरीर पर लेटी हुआ है और मेरे होठों को चूम रही है।

भाभी बोली- ऐसा ही माल निकला था रात में?

मैंने कहा – हाँ भाभी.

भाभी ने कहा- ये तो जवानी की निशानी है मेरे देवर जी. अब आप जवान हो रहे हैं.

मैंने कहा- अब मै जाऊं भाभीजी ?

भाभी बोली – अरे वाह राजा जी अभी तो खेल बाकी है।अब जरा मुझे चोदिये तो सही।

मै बोला- क्या अभी भी कुछ बाकी है? लेकिन मै भी कुछ करना चाहता हूँ.

भाभी बोली – आप क्या करना चाहते हैं?

मै बोला – जिस तरह से आपने मेरे लंड को चूसा उसी तरह से मै भी आपके बूर को चूसना चाहता हूँ।

भाभी बिस्तर पे लेट कर अपनी दोनों पैर को अगल बगल फैला दिया। अब मुझे भाभी का बुर का एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रहा था। मै नीच झुक कर भाभी के बुर में अपना मुंह लगा दिया। पहले तो बूर के बाल को ही अपने मुंह से खींचता रहा। फ़िर एक बार बुर के छेद पर अपने होठ रख कर उसका स्वाद लिया। बड़ा ही मज़ा आया। मै और जोर से भाभी के बुर को चूसने लगा। चूसते चूसते अपनी जीभ को भाभी के बूर के छेद के अन्दर भी घुसा दिया। भाभी को देखा तो वो अपनी आँख बंद कर के यूँ कर रही थी जैसे कि कोई दर्द हो रहा है।तभी भाभी के बुर से हल्का हल्का पानी के तरह कुछ निकलने लगा। मैंने उसका स्वाद लिया तो मुझे कुछ नमकीन सा लगा. थोडी ही देर में मेरा लंड तन के खड़ा हो गया था। मै भाभी के होठ को चूमने के लिए जब उनके ऊपर चढा तो मेरा लंड उनके बुर से सट गया। भाभी ने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और
कहा – राजा जी अब मुझे चोदिये न ।

मैंने कहा – मगर कैसे भाभीजी? क्या और भी मज़ा हो सकता है?

भाभी धीमे से मुस्कुराई और कहा – अब तो असली मज़ा बांकी है।

मै कहा – क्या करुँ?

भाभी बोली – अपने लंड को मेरे बूर में डालिए।

मैंने कहा – इतना बड़ा लंड आपके बुर के इतने छोटे से छेद में कैसे घुसेगा?

भाभी बोली- आप डालिए तो सही।

भाभी ने अपने दोनों पैरों को और फैलाया। और मेरे लंड को पकड़ के अपने बूर के छेद के पास लेते आई।

बोली- घुसाइए.

मैंने संदेह्पुर्वक अपने लंड को उनके बूर के छेद में घुसना शुरू किया। ये क्या? मेरा सारा का सार लंड उनके बूर में घूस गया। मुझे बहूत ही मज़ा आया। भाभी को देखा तो उनके मुंह से सिसकारी निकल रहा था। मैंने डर के मारे झट से अपने लंड को उनके बूर से बाहर निकल लिया।

भाभी ने कहा – ये क्या किए?

मैंने कहा- आपको दर्द हो रहा था ना?

वो बोली- धत , आपके भइया तो रोज़ मुझे ऐसा करते हैं। इसमे दर्द थोड़े ही होता है। इसमे तो मज़ा आता है। चलिए डालिए फ़िर से अपन लंड मेरे बूर के छेद में।

मै इस बार अपने लंड को अपने से ही पकड़ कर भाभी के बूर के छेद के पास ले गया और पूरा पूरा लंड उनके बूर में घूसा दिया। भाभी के मुंह से एक बार फ़िर सिसकारी निकली। मै उनके बुर में अपना लंड डाले हुए 1 मिनट तक पड़ा रहा। मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि अब क्या करना है। मै अपने दोनों हाथो से भाभी के चुचियों से खेलने लगा।

भाभी बोली- खेल शुरू कीजिये ना।

मै बोला- अब क्या करना है?

भाभी बोली – चोदना शुरू कीजिये ना।

मै बोला- अभी भी कुछ बांकी है? अब क्या करुँ?

भाभी बोली – मेरे बुध्धू राजा बाबू ! अपने लंड को धीरे धीरे मेरे बूर में ही आगे पीछे कीजिये।

मै बोला – समझा नही।

भाभी बोली- अपने कमर को आगे पीछे कर के अपने लंड को मेरे बूर में आगे पीछे कीजिये।

मै ऐसा ही किया। अपने कमर को आगे पीछे कर के लंड को भाभी के बूर में अन्दर बाहर करने लगा। भाभी का शरीर एंठने लगा।

मै बोला कि – निकाल लूँ क्या?

भाभी बोली – नही। और जोर से चोदिये।

मै भाभी के कमर को अपने हाथ से पकड़ लिए और अपने लंड को उनके बूर में आगे पीछे करने लगा। मुझे अब इसमे काफ़ी मजा आ रहा था। मेरा लंड उनके बूर से रगडा रहा था। मै पागल सा होने लगा। 5 मिनट तक करने के बाद देखा कि भाभी के बुर से पानी निकल रहा था। भाभी अब निढाल सी हो रही थी। मै भाभी के शरीर पर लेट कर उनकी चोदाई जारी रखी।

भाभी बोली – जल्दी जल्दी कीजिये राजा जी ।

मै बोला – कितनी देर तक और करुँ?

वो बोली – मेरा तो माल निकल गया है। आपका माल जब तक नही निकलता तब तक करते रहिये।

मैंने और जोर जोर से उनको चोदना जारी कर दिया। उनका सारा शरीर मेरे चोदाई के हिसाब से आगे पीछे हो रहा था। उनकी चूचियां भी जोर जोर से हिल हिल कर ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे ये सब देखने में बहूत मज़ा आ रहा था। मै सोच रहा था कि ये चोदाई का खेल कभी ख़तम ना हो। तभी मुझे लगा कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है।

मै भाभी को बोला- भाभी मेरा लंड से माल निकलने वाला है।

भाभी बोली – लंड को बुर से बाहर मत निकालिएगा। सब माल बुर में ही गिरने दीजियेगा।

मैंने उनको चोदना जारी रखा। 15-20 धक्के के बाद मेरे लंड से माल निकलना शुरू हो गया। मेरी आँख जोरो से बंद हो गई। मैंने अपने लंड को पूरी ताकत के साथ भाभी के बूर में धकेलते हुए उनके शरीर को कस के पकड़ के उनको लिप्त कर उनके ही शरीर पर गिर गया।

बोला – भाभी , फ़िर माल निकल रहा है।

भाभी ने मुझे कस के पकड़ के मेरे कमर को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ़ नीचे की ओर खींचने लगी। 2 मिनट तक मुझे कुछ होश नही रहा। आँख खुली तो देखा मै अभी भी भाभी के नंगे शरीर पे पड़ा हूँ। भाभी मेरे पीठ को सहला रही थी। मेरे लंड से सारा माल निकल के भाभी के बुर में समां चुका था। मेरा लंड अभी भी उनके बुर में ही था।

मै उनके चूची पर अपने सीने के दवाब को बढ़ते हुए कहा- क्या इसी को चुदाई कहते हैं?

भाभी बोली – हाँ, कैसा लगा?

मै कहा – बहूत मज़ा आता है । क्या भईया आपको ऐसे ही चोदते हैं?

वो बोली- हाँ,

मैंने पूछा- क्या भैया आपको हर रात को चोदते हैं?

भाभी बोली-हाँ, लगभग हर रात को ।

मै कहा – क्या अब मुझे आप चोदने नही दोगी?

वो बोली- क्यों नही? रात को भइया की पारी और दिन में तुम्हारी पारी।

मैंने कहा- ठीक है।

भाभी बोली – जब तुम्हे मुझे चोदने का मौका नही मिले अपने हाथ से ही लंड को सहला लेना और माल निकाल लेना।

मैंने कहा – ठीक है।

उसके बाद मैंने अपना लंड को उनके बुर से निकाला। भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया
और कहा- रोज़ इसमे तेल लगाया कीजिये। इस से ये और भी बड़ा और मोटा होगा।

भाभी के बूर को मै फ़िर से सहलाते हुए पुछा – मुझे नही पता था कि इस के अन्दर इंतना बड़ा छेद होता है।

भाभी बोली – सुनिए, कल आप आने लंड के बाल को शेव कर लीजियेगा। मै भी आज रात को शेव कर लूंगी। तब कल फिर आपको चोदने के और भी तरीके बताऊँगी। हाँ ये बात किसी को बताइयेगा नही।

इसके बाद भाभी ने मुझसे और भी कई तरीके से अपनी चुदवाई करवाई । आज तक किसी को इस बात का नही चला।